हिन्दी (301)
Assignments - 2024-25
प्रश्न - 1 (क) जयसी के 'पद्मावत' में प्रेम के स्वरूप का उन्लेख करते हुए आधुनिक संदर्भ में उसके महत्व को प्रतिपादित कीजिए ।
उत्तर : जयसी के 'पद्मावत' में प्रेग एक आध्यात्मिक और आलौकिक स्वरूप में प्रस्तुत होता है । यह प्रेम सांसारिकु इच्छाओं से परे जाकर, आत्मा की शुद्धि और परिपूर्णता की दिशा में यात्रा । आधुनिक संदर्भ में, यह प्रेम करता है। आ मानवता के भीतर के सत्य और इश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जो हमें भौतिक इच्छाओं से ऊपर है। उठने का संदेश देता
प्रश्न- 2 (ख) 'दो कलाकार' कहानी की की किन्हीं दो विशेषताओं प्रमुख पात्र अरुणा का उल्लेख कीजिए
उत्तर : अरुणा की दो विशेषताओं का उल्लेख।
1. अरुणा करुणाग के हृदय में सच्ची संवेदना है , मैत्री, परोपकार तथा 1 दया, सहानुभूति से भरा उसका हृदय कर्म के प्रति अनु प्रेरित करता रहता है।
2- वह समाज कभी सेवा के लिए हमेशा तैयार रहती है। वह आस-पास के बच्चों को पढ़ाती है तो कभी बाढ़ पीड़ितों के लिए चंदा इकट्ठा करने में व्यस्त रहती है।
प्रश्न 3 (क) 'देस' कहानी मुख्य पाह सिस्चन की ऐसी कौन सी दो विशेषताएँ हैं जो आपको अत्याधिक प्रभावित करती है, २ स्पवर कीजिए।
उत्तर : 'देस' कहानी में सिस्चन की विशेषताए:
सिस्का प्रेमचंद की कहानी 'फेस' का मुख्य पात्र है, जिसकी जीवन की स्थितियों और उसके साथ हुए सामाजिक व्यवहार उसे गहराई से प्रभावित करते हैं। सिस्चन की पहली विशेषता उसकी आयुकता है। वह अत्यंत संवेदनशीन व्यक्दि है, जो दूसरी के तिरस्कार और उपेक्षा को गंभीरता से लेता है। कहानी में एक धुना में जब उसे चोट लगती हैं, तो शारीरिक नहीं होती, बल्कि मी गहरी को आहत दिलाती ठेस लगती है। करती है और समझा जाता है। यह चोर वेबल उसकी उसको आत्मा पर उसके आत्मसम्मान उसे यह रहसास समाज में उसका स्थान निम्नतर दूसरी विशेषता उसका आत्मसम्मान है। सिरचन मेहनती और स्वाभिमानी व्यक्ति है, जी कठिनाइयों के बावजूद अपने सम्मान के साथ समझौता नहीं करता। वह खाद को दूसरों के रामभ नीचा महसूस नहीं करना चाहता है और अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करता है। उसकी यही संवेदनशीलता और आत्मसम्मान कहतनी की करते हैं। मूल भावनात्मक धारा को संचालित करते है ।
प्रश्न- 4 (क) 'वह तोड़ती पत्थर कृविता के संदर्भ को सविस्तार प्रस्तुत कीजिए और आज के परिवेश के संदर्भ में व्याख्या कीजिए।
उत्तर : 'वह तोड़ती पत्थर' कविता के लेखक सुमित्रानंदन जिन्होंने इस वर्ग की दुर्दशा और उपेक्षा का कविता के माध्यम से श्रमिक समाज माध्यम में उनके प्रति चित्रण किया है। कविता की नायिका एक साधारण गहिला है जो पत्थर तोड़ते हुए दिखाई देती है। पंह जी ने उसके संघर्ष, भूम और समाज में उसकी स्थिति की गहराई से महसूस किया है। इस कविता कि मेहनतकश मजदूर, का मुख्य संदेश विशेष रूप से महिलाएँ, अत्यधिक परिश्रम करती हैं लेकिन उनके भ्रम जाता है। का उचित मूल्यांकन नहीं किया।
कविता की नायिका पत्थर तोड़ते हुए अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना कर रही है और यह स्थिति हमारे समाज में रोजगरी का हिस्सा है। आज के संदर्भ में भी यह कविता बुरी तरह प्रासंगिक है। अहिलाओं और गरीब श्रमिकों की स्थिती अब भी उतनी ही कठिन है, जही उन्हें पर्याप्त वेतन, सुविधाएँ और अधिकार नहीं मिलते। आर्थिक विषमता आज भी एक प्रमुख समस्या है, जहाँ उच्च वर्ग का दबदबा है और निचले वर्ग की लगातार संघर्ष करना पड़ता है। इस कविता का संदेश यह है कि हमें समाज के इस असमजता को दूर करने की दिशा में सोचना चाहिए और मेहनतकश लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करली चाहिए
प्रश्न-5 (क) फीचर तलेखन के प्रमुख चरणों को सोदाहरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर: फीचर लेखन पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें किसी विषय पर विस्तार से, रोचक ढंग से और सूचनात्मक लेख प्रस्तुत किए जाते हैं। फीचर लेखन में केवल तथ्य प्रस्तुत करने के बजाय लेखक कहानी की अऔर विश्लेषणात्मक ढंग से फीचर लेखन में तरह विषय को दिलचस्प प्रस्तुत प्रमुख चरण करता है। निम्नलिखित हैं:
विषय का चयन:- फीचर लेखन के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण है विषयु का चराना विषय की ऐसा चुना जाता है जी रोचक हो और पाठकों की आकर्षित कर सके। उदाहरण के लिए, आप 'कोरोना वायरस के बाद शिक्षा में आए परिवर्तन' पर फीचर लिख सकते हैं। यह विषय वर्तमान और महसूस करेंगे । प्रासंगिक है, जिससे पाठक जोड़ महसूस करेंगे
शोध कार्य :- फीचर लेका के लिए गहराई से शोध करना आवश्यक है। लेख में दिए गए तथ्यों का सही और प्रमाणित होना बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, यदि आप पर्यावरण संरक्षण का फीचर लिख रहे हैं, तो आपको नए सरकारी नियमों, पर्यावरणीय संकरी और लोगों के जागरूकता अभियानों के बारे में जानकारी एकत्र करनी होगी।
लेखन की संरचना :- फीचर लेखन की संस्चना, बहुत मायने रखती है। एक सफन फीचर में प्रारंभिक हिस्सा बहुत प्रभावी होना चाहिए ताकि पाठक की रुचि बनी रहे। इसके बाद मध्य भाग में विस्तार से विषय पर चची की जाती है और अंत निष्कर्ष या समाधान प्रस्तुत किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि आप 'महिला सशक्तिकरण' पर फीचर लिख रहे हैं तो शुरुआत किसी प्रेरणादायक और घटना विश्लेषण दें से करें, मध्य में आंकड़े और अंत में इसका समाज पर प्रभाव बताएँ।
भाषा और शैली :- फीचर लेखन में भाषा का सरल और प्रवाहमय होना जरूरी है। इसमें साहित्यिक शैली और विवरणात्मक लेखन का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप 'शहर में बढ़ते प्रदूषण' पर लेख लिख रहे हैं। तो उसकी भाषा ऐसी होनी चाहिए जो पाठक को समस्या को गंभीरता को महसूस करा सके।
समाप्दि :- फीचर लेया के अंत में एक निष्कर्ष या समापन प्रस्तुत किया जाता है, जिसगे विष्य का संक्षिप्त सार दिया जाता है और एमविष्य के बारे में कुछ दिशा-निर्देश या सुझाव दिए जाते हैं। उदाहरण के निए, यदि आपका लेख 'स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर है तो अंत में आप परियोजना के भविष्य और इसके संभावित लाभों पर प्रकाश डाल सकते हैं
प्रश्न - 6 (क) भक्ति काल और आधुनिक काल के चार-चार कवियों का परिचय तथा उनकी प्रमुख रचनाओं का विवरण चित्र सहित प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:- भक्तिकाल और आधुनिक काल हिंदी साहित्य के दी महत्वपूर्ण युग है। भक्तिकाल में धार्मिक और आध्यात्मिक कविताओं का प्रमुख स्थान था, जबकि आधुनिक काल में सामाजिक और व्यक्रिगत जीवज की समस्याओं को प्रमुखता मिली। यहाँ भक्तिकाल और आधुनिक -चार प्रमुख कवियों वा परिचय और उनकी रचनाओं का वर्णन किया गया है:
भक्तिकान के चार प्रमुख कवि कबीरदास - कबीरदास संतु काव्य धारा के प्रमुख कवि थे जिन्होंने अपने दोसे के माध्यम से समाज में व्याप्त धार्मिक आडंबरी, जाति - पाति और सामाजिक विषमताओं पर प्रहार कियण उनकी स्चनाएँ सरल, सहज आरे गहन जीवन दर्शन से परिपूर्ण है। उनकी प्रमुख रचनाएँ 'बीजक', 'सामी', 'रमजी' और 'शब्द' है।
सूरदास - सूरदास कृष्ण भक्ति के कवि थे और उनकी स्चनाओं में कृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहारी चित्रण मिलता है। उनकी काव्य शैली 'सूरसागर' परिलक्षित होते है, जिसमे श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और राधा राधा-कृष्ण के प्रेम को वर्णित किया गया है। उनकी प्रमुख स्चनाएँ 'सूरसागर', 'सूरसारावनी' और साहित्य लहरी है।
तुलसीदास - तुलसीदास रामभक्ति शम्मा की प्रमुख कवि थे, जिन्होंने 'रामचरितमानस' जैसी उमर कृति की स्चना में राम के आदर्श जीवन की। उनकी रचनाओं और धर्म की प्रतिनिष्ठा का अद्वितीय वर्णन मिलता है। उनकी अन्य सूचनाएँ 'विजय पत्रिका', 'दोहावली' और 'कवितावली' है।
मीराबाई - मीरा बाई कृष्ण की अन्नय भक्द थी और उनकी कविताओं में कृष्ण के प्रति प्रेोम और समर्पण की भावनाओं का अत्यंत कोगन और मार्मिक चित्रण मिलता है। उनकी कविताओं में भक्ति, प्रेम और वेदना का संगम है। उनकी प्रमुख रचनाएँ 'गीरा के पद' और 'गीत गोविंद है।
आधुनिक काल के चार प्रमुख कवि -
जयशंकर प्रसाद :- जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के छायावाद युग के प्रमुख कवि थे। अकी कविताओं में राष्ट्रप्रेम प्रकृति और जीवन के प्रति गहन दार्शनिक हारिकोण झलकता है। उनकी प्रमुख कृति 'कामायनी', 'सु' और 'बहर 'है। 'कामायानी' में मानव जीवन के विभिन्न भावी का दार्शनिक विश्लेषण किया गया है।
सुमित्रानंदन पंत :- पंत जी छायावादी युग के एक और प्रमुख कवि थे। उनकी स्चनाओं में प्रकृति और माजव जीवन के बीच संबंधी का अत्यंत सजीव चित्रण मिलता है। उनकी प्रमुख स्चनाएँ 'पल्लव' 'ग्राम्या', और गुंजन 'हैं। पंत जी की काव्य भाषा और संगीतात्मक है।
महादेवी वर्मा - महादेवी वर्मा हिंदी की प्रमुख छायावादी कविवित्री थीं, जिन्हें 'आधुनिक मीरा' कहा जाता है। उनकी स्चनाओं में करुणा, वेदना और नारी चेतना का अतितीय वर्णन मिलता है। उनकी प्रमुख स्चनाएँ 'नीरजा' 'सांध्यगीत' और 'दीपशिखा' हैं। उनकी कविताओं में नारी की व्यथा और समाज के प्रति उनकी सोच का गहन विश्लेषण है।
(सूर्यकांत त्रिपाठी निराला.) :- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिंदी साहित्य के महान कवि और लेखक थे। उनकी स्चनाए स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार की भावना से प्रेरित थीं। उनकी प्रमुख रचनाएँ 'परिमन', 'अना', और 'तुलसीदास' है। निराला ने छायावाद को नए आयाम दिए और समाज के निचले वर्ग के प्रति सहानुभूति का भाव रखा।
नोट- विद्यार्थी सभी कवियों के चित्र चिपकाये ।
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